Saurabh Patel

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ईद का चांद

                                      ईद का चांद 


होने को तो हर रोज़ होती है आसमान में मौजूदगी चांद की
मगर रोज़ की ये आम रोशनी काबिल नहीं है जमाने के 
दाद की

और रात आई जब ईद की तो रूह तक खुश हुई आसमान की
फिर दुनिया इंतजार करती रही आसमान के सबसे अजीज मेहमान की

वो नजारा क्या ख़ूब हुआ जब चांद का दीदार हुआ
माशाअल्लाह हर तरफ़ नूर ही नूर, चांद का क्या श्रृंगार हुआ 

फ़िर जमी आयना बनकर चांद को उसकी खूबसूरती दिखाती रही
चांदनी भी मेरे मेहबूब जैसी है जुकाकर अपनी पलकों को सारी रात शर्माती रही

और रात ये बहुत खास है इसका लुत्फ उठा लेना
आज रात कागज़ और कलम के साथ साथ अपने अंदर के शायर को भी उठा देना

ये चांद का नूर सब की आंखों पे एक असर छोड़ जाएगा
सब्र टूटता रहेगा आंखों का, ये लम्हा तुम्हें बार बार आसमान देखने के लिए मजबूर छोड़ जाएगा

देखो ये मौसम कितना संवर गया इस चांदनी में
मन करता है डूबा रहु रात भर चांद की जवानी में

और त्यौहार किसी का भी हो खुशियां हर तरफ होनी चाहिए
दूर करके आपसी मसलों को सब को इस जमी पर इंसानियत बोनी चाहिए....

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13 Comments

Shnaya

28-May-2022 07:46 PM

बहुत खूब

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Saurabh Patel

28-May-2022 08:59 PM

जी शुक्रिया

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Seema Priyadarshini sahay

26-May-2022 04:55 PM

बहुत खूबसूरत

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Saurabh Patel

26-May-2022 05:36 PM

जी शुक्रिया

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Gunjan Kamal

25-May-2022 12:19 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻

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Saurabh Patel

25-May-2022 12:43 PM

जी शुक्रिया आपका 🙌

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